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Wednesday, November 30, 2011

तेरी याद


कभी हमें हँसा जाती है,
कभी रुलाती है ..... तेरी याद ! 

कभी तन्हाई में महफ़िल सजाती है,
कभी महफ़िल में तन्हा कर जाती है .... तेरी याद !

कभी तेरे होने का यकीन दिलाती है
कभी तेरी कमी का एहसास जगाती है 

कभी मेरे ख़्वाबो को सजाती है
कभी हकीक़त से रूबरू करवाती है 

कभी ख़ुशी की वजह बनजाती है
कभी ग़म का सबब होती है 

कभी तेरा प्यार ले आती है
कभी मेरी जान लेजाती है 

कभी दिलको सुकून देजाती है
कभी बहुत तडपाती है 

अब आजाओ के बहुत आती है ---तेरी याद !!

Tuesday, November 29, 2011

लेकिन कभी रोया नहीं

ग़म की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं
तू ने मुझको खो दिया , मैंने तुझे खोया नहीं

नींद का हल्का गुलाबी सा ख़ुमार आंखों में था
यूँ लगा जैसे वो शब् को देर तक सोया नहीं

हर तरफ दीवार- ओ - दर और उनमें आँखों का हुजूम
कह सके जो दिल की हालत वो लब- ए- गोया नहीं

जुर्म आदम ने किया और नस्ल- ए- आदम को सज़ा
काटता हूँ ज़िन्दगी भर मैंने जो बोया नहीं

जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी ‘ मुनीर ’
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं !!

मना लूँ तुझको


दिल तो कहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझको

दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझको

कोई अहसास जुदाई का न रहने पाए

इस तरह खुद में मेरी जान समां लूँ तुझ को

तू जो रूठ जाये कभी मुझसे मेरे दिल के मालिक,

सारी दुनिया से ख़फा हो कर मना लूँ तुझको !!

तो क्या बात है

किताबों के पन्नों को पलट कर सोचता हूँ
पलट जाये मेरी भी ज़िन्दगी तो क्या बात है

ख़्वाबों में रोज़ मिलता है जो
अगर हक़ीक़त में मिल जाये तो क्या बात है

कुछ मतलब के लिए ढूँढ़ते है मुझको
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है

जो शरीफ़ों की शराफ़त में न हो
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है

क़त्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा
कोई चाहत से ले जाये तो क्या बात है

सबको खुशियाँ बाँटू दिल-ओ-जान से कोशिश है मेरी 

हर शक्श मेरे जहान में खुश रहे तो क्या बात है !!

अब तलाश है मुझे.


इतने दोस्तों में भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे 

छोड़ आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे
अब डूब रहा हूँ तो एक साहिल की तलाश है

लड़ना चाहता हूँ इन अन्धेरो के ग़मो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

तंग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन ज़िन्दगी की तलाश है मुझे

दीवना हूँ मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की अब तलाश है मुझे..

Monday, November 28, 2011

ख़ुदा जाने क्या हो

हर लम्हा गीत बन जाता है तेरे पहलू में आ के
जो तू गुनगुना दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

तेरी साँस से देखी हर - सु महेकती खुशबू
जो तू मुस्कुरा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

तेरे सिमटे गेसू जैसे आसमान बंधा हो
जो तू लहरा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

लाख मोती लगे हैं तेरे हाथ मेहँदी के
जो तू लुटा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

तेरे नक़ाब ने बना दिया चर्चा शहर में
जो तू हटा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

कई राज़ छुपे हैं ज़माने की इन आँखों में
जो तू बता दे तो ख़ुदा जाने क्या हो !!

अपनों को तलाशता आदमी

दुनिया की भीड़ में अपनी पहचान खोता आदमी,
सुनसान रास्तों पे तनहा चलता आदमी,
सब कुछ पास होते हुए भी जाने क्या चाहता है,
अपनों में खुद, अपनों को तलाशता आदमी !! ♥ कल्प ♥

तमन्ना सज़ा की थी

सफ़र -ए -वफ़ा की राह में मंज़िल जफ़ा की थी
काग़ज़ का घर बनाके भी ख्वाहिश हवा की थी

थी जुगनूं के शहर में तारों से दुश्मनी
माशूक चाँद था और तमन्ना सुबह की थी

मैंने तो ज़िन्दगी को तेरे नाम लिखा था
मग़र शायद कुछ और ही मर्ज़ी ख़ुदा की थी

दर्द ही देना था तो पहले बता देते
हमको भी पहले से ही तमन्ना सज़ा की थी

Sunday, November 27, 2011

हम जीते और मरते एक ही बार हैं

उसने कहा तुममें पलहे जैसी बात नहीं
मैंने कहा ~ ज़िन्दगी में तेरा साथ नहीं
उसने कहा अब भी किसी की आँखों में डूब सकते हो
मैंने कहा ~ किसी की आँखों में वो बात नही
उसने कहा क्यूँ इतना टूट कर चाहा मुझे
मैंने कहा ~ मोहब्बत है कोई खयाल नहीं
उसने कहा क्या बेवफ़ा हूँ मैं ?
मैंने कहा ~ मुझे अब वफ़ा पर ऐतबार नहीं

उसने कहा तो भूल जाओ मुझे
मैंने कहा ~ तुम हकीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं

उसने कहा किसी और से फिर से प्यार क्यूँ नहीं कर लेते
मैंने कहा ~ हम जीते और मरते एक ही बार हैं बार बार नही !! 

 

Saturday, November 26, 2011

क्यूँ नहीं

मिल मिल के बिछड़ने का मज़ा क्यूँ नहीं देते
हर बार कोई ज़ख्म नया क्यूँ नहीं देते ?


ये रात ,ये तन्हाई ये सुनसान दरीचे
चुपके से मुझे आ के सदा क्यूँ नहीं देते ?


है जान से प्यारा मुझे ये दर्द-ए-मुहब्बत
कब मैंने कहा तुमसे दवा क्यूँ नहीं देते ?


                         ग़र अपना समझते हो तो फ़िर दिल में जगह दो
हूँ ग़ैर तो महफ़िल से उठा क्यूँ नहीं देते ?

जहाँ रास्ता नहीं होता

"ख़ुदा ने जानकर नहीं लिखा उसे मेरी क़िस्मत में
कि सारे जहां की ख़ुशियाँ एक शख्स को कैसे देता"


"अब कौन खरीदेगा तेरे आंसू हीरों के दाम
वो जो इक दर्द का 
ख़रीदार था , दुकान छोड़ गया"


"कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"


"ख्वाहिशों का काफ़िला भी अजीब ही है
अक्सर वहीँ से गुजरता है जहाँ रास्ता नहीं होता"

कुछ उमर की पहली मंज़िल थी

कुछ  उमर   की  पहली  मंज़िल थी
कुछ  रस्ते  थे  अनजान  बोहत

कुछ  हम  भी  पागल  थे  लेकिन
कुछ  वो  भी  थे  नादान  बोहत

कुछ  उसने  भी  न  समझाया
ये  प्यार  नहीं  आसन  बोहत

आख़िर हम  ने  भी  खेल  लिया
जिस  खेल  में  थे  नुक्सान बोहत 

Friday, November 25, 2011

जिसकी आरजू थी


जिसकी आरजू थी उसीका ही प्यार न मिला .
बरसो जिसका इंतजार किया उसीका ही साथ न मिला .

अजीब खेल है ये मोहब्बत का
किसीको हम न मिले और कोई हमे न मिला !!

ख़ुशी के साथ

मंसूब थे  जो  लोग  मेरी  ज़िन्दगी के  साथ,
अक्सर  वही  मिले  हैं  बड़ी  बे-रुखी  के  साथ !

यूं तो  मैं हँस पड़ा  हूँ  तुम्हारे  लिए  मग़र,
कितने  सितारे  टूट  पड़े एक  हँसी के  साथ !

फ़ुर्सत मिले  तो  अपना  गरेबां भी  देख ले ,
ए-दोस्त  यूँ न  खेल  मेरी  बे - बसी  के  साथ !

मजबूरियों  की  बात  चली  है तो  मय कहाँ ,
हमने  पिया  है  ज़हर  भी  अक्सर  ख़ुशी  के  साथ !

कोई रसम तक न निभा सकी


न  मैं  पास  उसको  बुला  सकी
न  मैं  दिल  की  बात  बता  सकी !
वोह  हंसी  हंसी  मैं  ही  चल  दिए
कि  मैं  होठ तक  न  हिला  सकी !!

यूँ  ही  सोचती  रही  दूर  तलक
मगर  उसको  कुछ  न  बता  सकी !
ये  मुक़ाम ही  था  अजीब  सा  के
मैं  खुद  को  भी  न  बचा  सकी !!

वो  जुदा  भी  ऐसे  हुआ  कि  मैं
कोई  रसम  तक  न  निभा  सकी !!!

Thursday, November 24, 2011

मुझे तुम .. “याद आते हो

ज़रा  ठहरो … “चले  जाना ”,
मुझे  कुछ .. “तुम  से  कहना  है ”,

ज़्यादा.. “वक़्त  नहीं  लूँगा ”,
ज़रा  सी    “बात   करनी    है ”,

न   दुःख  .. “अपने  सुनाने  हैं ”,
न  कोई .. “फ़रियाद करनी  है ”,

न  ये .. “मालूम  करना  है ”,
के अब .. “हालात कैसे  हैं ”,

तुम्हारे .. “हमसफ़र  थे  जो ”,
तुम्हारे , “साथ  कैसे  हैं ”,

न  ये .. “मालूम  करना  है ”,
तेरे .. “दिन  रात  कैसे  हैं ”,

मुझे  बस .. “इतना  कहना  है ”,
मुझे  तुम .. “याद  आते  हो “,

“बहुत  ही  याद  आते  हो ……!!!!


~♥"-DiL DhOONdhTa HAi-"~♥: मेरी नींद भी उसी की है

~♥"-DiL DhOONdhTa HAi-"~♥: मेरी नींद भी उसी की है: मुझ में ख़ुशबू बसी उसी की है जैसे ये ज़िन्दगी उसी की है वो कहीं आस पास है मौजूद हू बहू ये हँसी उसी की है यानि कोई ...

मेरी नींद भी उसी की है

मुझ  में  ख़ुशबू  बसी  उसी  की  है,
जैसे  ये  ज़िन्दगी  उसी  की  है,


वो  कहीं  आस  पास  है  मौजूद,
हू  बहू  ये  हँसी  उसी  की  है,


यानि  कोई  कमी  नहीं  मुझ  में,
मुझ  में  कमी  उसी  की  है,


क्या  मेरे  ख्व़ाब  भी  नहीं  मेरे,
क्या  मेरी  नींद  भी  उसी  की  है !!

Wednesday, November 23, 2011

सितारे आसमान के


छू लो सितारे आसमान के कितने भी ,

लेकिन देखो कहीं पैर ज़मी से उठने न पाएं.. ♥ ~कल्प~ ♥

Tuesday, November 22, 2011

मोहब्बत मार गई

कुछ  उन  की  वफाओं  ने  लूटा,  कुछ  उनकी  इनायत  मार  गई ,
हम  राज़-ए-मोहब्बत  कह  न  सके , चुप  रहने  की  आदत  मार  गई ,

दिल  ने  भी  बहुत  मजबूर किया , मिलने  भी  लाखों  बार  गए ,
जी  भर  के  उन्हें  न  देख  सके , आँखों  की  शराफ़त मार  गई ,

वो  कौन  है जिन  को  जीने  का  पैग़ाम , मोहब्बत  देती  है ,
हम  को  तो  ज़माने  मैं  ए  दिल , बे -दर्द  मोहब्बत  मार  गई ,

दोनों  से  ही  शिक़ायत  है , इल्ज़ाम अब  किस  पर  लगाएं ,
कुछ  दिल  ने  हमें  बर्बाद  किया  और  कुछ  अपनी  क़िस्मत मार  गई .

मिलने आते हो तो लौट के जाते क्यूँ हो ..

अपने  हाथों  से  यूँ  चेहरा  छुपाते  क्यूँ  हो
मुझसे  शरमाते  हो  तो  सामने  आते  क्यूँ  हो

तुम  कभी  मेरी  तरह  कर  भी  लो  इकरार - ए - वफ़ा
प्यार  करते  हो  तो  फिर  प्यार  छुपाते  क्यूँ  हो

अश्क  आँखों  में  मेरी  देख  के  रोते  क्यूँ  हो
दिल  भर  आता  है  तो  फिर  दिल  को  दुखाते  क्यूँ  हो

उनसे  वाबस्ता  है  जब  मेरा  मुक़द्दर  फिर  तुम
मेरे  शानों  से  ये  ज़ुल्फ़  अपनी  हटाते  क्यूँ  हो

रोज़  मर -मर  के  मुझे  जीने  को  कहते  क्यूँ  हो
मिलने  आते  हो  तो  लौट  के  जाते  क्यूँ  हो !!. 

Monday, November 21, 2011

है तो है ...

वो  नहीं  मेरा , मगर  उस  से  मोहब्त है  तो  है ,
ये  अगर  रस्मों  रिवाजो  से , बग़ावत है  तो  है ,

सच  को  मैं  ने  सच  कहा , जब  कह  दिया  तो  कह  दिया ,
अब  ज़माने  की  नज़र  में , ये  हिमाक़त  है  तो  है ,

दोस्त  बन  कर  दुश्मनों  सा , वो  सताता  है  मुझे ,
फिर  भी  पत्थर  दिल  पे  मरना , अपनी  फितरत  है  तो  है ,

कब  कहा  मैंने  के  वो  मिल  जाये  मुझको   एक  बार ,
उस  की  बाहों  में  ये  दम  निकले , ये  हसरत  है  तो  है .

न तमन्नाओ की बारिश हुई

न  तमन्नाओ  की  बारिश  हुई,

और  न  हसरतों  का  तूफ़ान  उठा,


बस  ख्वाइशों  की  मौत  हुई,


और  सपनो  का  काफिला  लुटा,


जहाँ  चाहत  की  बात  हुई,


वहीँ  मायूसी  का  आसरा  जुटा,


और  जहाँ  अरमानो  की  बरात  सजी,


वहीँ  चुपके  से  मेरा  दिल  टूटा ...

Sunday, November 20, 2011

खफा खफा से लगते हो

खफा  खफा  से  लगते  हो,
जुदा  जुदा  से  लगते  हो,

रखो  जो  सर  पर  ओडनी ,
हया  हया  से  लगते  हो,

मिलो  जो  मुस्कुरा  के  तुम,
अदा  अदा  से  लगते  हो,

ये दिल  है  एक  चमन  और  तुम,
सबा  सबा  से  लगते  हो,

नहीं  हो  बेवफा  मगर,
ज़रा  ज़रा  से  लगते  हो ...!

Saturday, November 19, 2011

ज़रा पाने की चाहत में

ज़रा  पाने  की  चाहत  में
बहुत  कुछ  छूट  जाता  है

न  जाने  सबर  का  धागा
कहाँ  पर  टूट  जाता  है

किसे  हमराह  कहते  हो
यहाँ  तो  अपना  साया  भी

कहीं  पर  साथ  रहता  है
कहीं  पर  छूट  जाता  है

अजब  से  है  ये  रिश्ता  भी
बहुत  मज़बूत  लगता  है

ज़रा  सी  भूल  से  लेकिन
भरोसा  टूट  जाता  है 

वो जो सर झुका

वो  जो  सर  झुका  के  बैठे  है ,


हमारा  दिल  चुरा  के  बैठे  है ,


हमने  उनसे  कहा ,हमारा  दिल  लौटा  दो  ,


तो  बोले ,


हम  तो  हाथो  में  मेहदी  लगा  के  बैठे  हैं !!

दिल जब भी तनहा होता है ~♥ kalp ♥~


दिल जब भी तनहा होता है,
तेरी याद आती है,

दिल जब भी उदास होता है,
तेरी याद आती है,

मैं यहाँ रहूँ या कहीं भी जाऊं, 
हर पल हर घडी तू मेरे साथ रहती है,

हर आती जाती सांस में तेरी याद आती है...♥कल्प♥

Friday, November 18, 2011