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Wednesday, March 28, 2012

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें..


एक छोटी सी कोशिश अपने ज़ज्बात को कहने की....
कुछ आधी-अधूरी सी है , लेकिन सीधी और सच्ची है...

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें ,
आने वाली नस्लों को कुछ मीठे फल दे जायें ,
बातों में ही जाया करते हैं हम , कीमती वक़्त को अपने ,
चलो कलम छोड़ कर अब हाथों में , फावड़े - कुदाल उठायें !!

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें...

भारत की जनता को न नयी तकनीक चाहिए ,  
हर भूखे को यहाँ बस दो रोटी चाहिए ,
पहले यही होनी हमारी प्राथमिकता चाहिए ,
न अब हमें नेताओं के झूठे वादे-भाषण सुनने हैं ,
भारत देश को फिर सुभाष-भगत-आज़ाद चाहिए !!

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें...

अपना भारत तो गावों में रहता है ,
इसे वहीँ सांस लेने दो , जीने दो , बढ़ने दो ,
"खेत" जोतने वाले हाथों में "हल" ही रहने दो ,
वरना जिस दिन "कुछ और" आ गया ,
तो देश में एक भी "गद्दार" न रहने पायेगा !!

चलो धरती का सीना चीर कर कुछ बीज बोयें...
~♥ कल्प वर्मा ♥~


Wednesday, March 21, 2012

दरवाजे पे पलकें बिछाई थी मैंने !! ~♥ कल्प वर्मा ♥~


तुम कभी इस दिल में उतर कर देखो ,
हजारों अरमान साँस लेते मिलेंगे यहाँ , 
आँखों के समंदर में कभी डुबकियाँ लगा कर देखो ,
जाने कितने ख़्वाब तैरते मिलेंगे यहाँ !!

ये प्यार की दुनियां बड़ी हिफाज़त से सजाई थी मैंने ,
तन्हाइयों में हमेशा एक तेरी याद की ही महफ़िल सजाई थी मैंने ,
कोई ख़्वाब कभी जलाया नहीं , कोई अरमान कभी दफ़नाया नहीं ,
तेरे आने की ख़ुशी में साँसों की डोर टूट गयी ~♥ कल्प ♥~ की , 
फिर भी तू पास आके तो देख , कैसे दरवाजे पे पलकें बिछाई थी मैंने !! 
~♥ कल्प वर्मा ♥~


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अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने ---दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !
तीन ऋण - देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषि त्रण !
चार युग - सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग एवं कलयुग !
चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पूरी एवं रामेश्वरम धाम !
चार पीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !
चार वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !
चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !
पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , !
पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !
पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !
छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !
सप्त ऋषि - विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
सप्त पूरी - अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !
आठ योग - यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !
आठ लक्ष्मी - आग्घ , विद्या , सौभाग्य , अमृत, काम , सत्य , भोग , एवं योग लक्ष्मी !
नव दुर्गा - शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी , कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
दस दिशाएं - पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण, इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,आकाश एवं पाताल !
मुख्या ग्यारह अवतार - मत्स्य , कच्छप , बराह , नरसिंह , बामन , परशुराम , श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !
बारह मास - चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन !
बारह राशी - मेष , ब्रषभ , मिथुन , कर्क , सिंह, तुला , ब्रश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , एवं कन्या !
बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकाल , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ , त्रियम्वाकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !
पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या !
स्म्रतियां - मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

Thursday, March 15, 2012

जैसे पूरी दुनियाँ हो घर में !! ~♥ कल्प ♥~



एक तन्हा आँगन है , सूनी छत है ,
एक मैं हूँ , और सारा आकाश है ,
मिट्टी के घर हैं ,
आधी - अधूरी कुछ दीवारें हैं ,
नन्हें हाथों को तरसते ताख़ पे रखे कुछ खिलौने हैं ,
जाने किस आँधी में उजड़ गयी है दुनिया घर की !!


एक तन्हा आँगन है , सूनी छत है ,
एक मैं हूँ , और सारा आकाश है ,
चाँद छुप गया है बादल में ,
चिराग की लौ भी डोलने लगी है अब , जलते - जलते ,
सारे नज़ारे गहरी नींद की आगोश में हैं ,
जाने किस शून्य में खो गयी है दुनिया घर की !!


एक तन्हा आँगन है , सूनी छत है ,
एक मैं हूँ , और सारा आकाश है ,
दूर हुए अपने सारे करीब लगते हैं ,
यूँ सितारों के आँगन से जैसे मुझे बुलाता है कोई ,
बादलों पे चलकर , कभी हवाओं को पकड़कर ,
जाने कब चाँद के दामन में सर रखके सो जाता हूँ मैं ,
फिर बीत गयी रात ग़म की , अब तो सुबह हुई है खुशियों की !!


चहकने लगे हैं पंछी सारे , मंद - मंद हवा है बहती ,
छम - छम करती पायल बजती , मुस्कान - ठिठोली गूँजती आँगन में ,
जी उठा हो अब ये घर जैसे , साँस लेती दीवारें हैं ,
अब ये तन्हा आँगन तन्हा नहीं , छत भी सूनी नहीं लगती ,
दिल के दरवाजे पे दस्तक है प्यार की , ज़िन्दगी खड़ी है चौखट पे ,
अब तो यहीं है बाँहों में , दुनिया मेरी ,
अब ये घर केवल घर नहीं , जैसे पूरी दुनियां हो घर में !!  ~♥ कल्प ♥~

Friday, March 2, 2012

लाश पे कफ़न नहीं मिलता !! ~♥ कल्प वर्मा ♥~





हर लम्हें में ख़ुशी नहीं होती , हर रिश्ते में प्यार नहीं मिलता ,
हर शाख़ पे गुल नहीं खिलते , हर शख्स अजीज़ नहीं होता ,
हर रात की सुबह तो होती है लेकिन , हर राह पे मंज़िल नहीं मिलती !!


हर दिल में प्यार नहीं होता , हर सीप में मोती नहीं मिलता ,
हर परवाने को शमा नहीं मिलती , हर जख्म का मरहम नहीं होता ,
कटी पतंग की डोर तो मिल जाती है लेकिन , जिस्म से जुदा रूह को साँसे नहीं मिलती !!


बिन पंख परिंदे हवाओं में नहीं उड़ते , बिन बादल कभी बरसात नहीं होती ,
हर फूल में कांटे नहीं होते , चिराग तले कभी रौशनी नहीं मिलती ,
सूरज तो रोज़ निकलता है लेकिन , सो गए जो चिर-निद्रा में बीती रात , उनके नसीब में कभी सुबह नहीं होती !!


ज़िन्दगी कभी रूकती नहीं , और वक़्त किसी के लिए ठहरता नहीं ,
साहिलों की रेत पे कभी घर नहीं बसते , हर सितारा चाँद के करीब नहीं होता ,
चलते तो सभी हैं ज़िन्दगी की राह में लेकिन , हर मुसाफिर को कारवां नहीं मिलता !!


हर आरज़ू पूरी नहीं होती , हर ख़्वाब सच नहीं होते ,
हर पत्थर में भगवान नहीं बसते , हर मिट्टी में सोना नहीं मिलता ,
पेट तो सबको दिए यहाँ ऊपर वाले ने लेकिन , हर भूखे को रोटी नहीं मिलती !!


दरिया के किनारे नहीं मिलते , कभी कागज़ के फूलों में खुशबू नहीं मिलती ,
सूनी आँखें कभी ख़्वाब को तरसती हैं , कभी हर आहट पे निगाहें चौखट पे होती ,
कभी लाखों के कपड़ों में भी तन ढकता नहीं , फिर देखो कहीं माँ का आँचल है , लाश पे कफ़न नहीं मिलता !!
~♥ कल्प वर्मा ♥~