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Friday, December 30, 2011

मैंने ‘ माँ ’ का नाम लिखा

राम लिखा , रहमान  लिखा , ईसा , रब - सतनाम लिखा , 


होड़ लगी जब सारी दुनिया एक लफ्ज़ में लिखने की , 


सब ने , सब दुनिया लिख डाली , 


मैंने ‘ माँ ’ का नाम लिखा !

Monday, December 26, 2011

चलो फिर से एक नयी कहानी लिखें ♥ kalp ♥


आओ एक नयी कहानी लिखें
फिर से अपनी ज़िन्दगी की एक रवानी लिखें...

मुददतें गुजर गई हैं खुद से बात किये
पास मेरे बैठो , ख़ामोश लबों से कुछ बात करें
आइना देखे भी अब तो बरसों बीत गए हैं
पहलू में आओ , तेरी आखों में अपना दीदार करें

चलो फिर से एक नयी कहानी लिखें...

फिर से हम - तुम अजनबी बनें
न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें पहचाने
तन्हा राहों पे फिर से हम , साथ साथ चलें
मोहब्बतों में गुज़रे लम्हों को, फिर से जिन्दा करें

चलो फिर से एक नयी कहानी लिखें

कुछ अधूरे - कच्चे ख्वाबों की दास्ताने लिखें
ख्वाहिशों में अपने प्यार के रंग भरें
चाँद को हथेली पे रखके तुझसे निगाहें चार करें
सितारे तोड़ कर लायें , फिर से तेरी माँग भरें

चलो फिर से एक नयी कहानी लिखें,

नीले आसमान पर , चमकते हर सितारे पर
दिल से निकले हुए जज़्बातों की ऐसी स्याही से
जो न कभी मिटे , न कभी धुंधली हो
जैसे , कभी न मिटने वाले अपने प्यार की , वही कहानी लिखें

गुज़रे हुए पलों में फिर से ज़िन्दगी जियें
चलो फिर से एक नयी कहानी लिखें  ~♥ कल्प ♥~

Tuesday, December 20, 2011

माँ

मेरी माँ के आँचल की एक बात बड़ी ही प्यारी है
जब सर रखकर सो जाता हूँ तो याद नहीं कुछ रहता है
अल्लाह के सजदे में झुकना
बिल्कुल माँ के आँचल में सोने जैसा है !!




उसकी दुआ का रंग कोई धो नही सकता
ममता का बीज कोई और बो नही सकता
रहमान हो , सुलतान हो , भगवान् हो भला
माँ से बड़ा, माँ से अच्छा कोई हो नही सकता !!

Friday, December 16, 2011

ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे ~♥ kalp ♥~

कुछ बात तो है मुझमे
पर क्या है, पता नहीं


कोई आके पास बैठे मेरे
ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे


जाने कब से अपने ही साथ बैठा हूँ
कुछ गुम सुम सा, कुछ उदास
हर साँस अधूरी सी लेता हुआ
फिर जाने किस बात पे, देर तक हँसता हुआ
वक़्त के गुज़रे लम्हों को शायद, बटोरता हुआ !


कोई आके पास बैठे मेरे
ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे


अपनी पहचान तलाशता हुआ
ग़ैरों की हँसी में, ख़ुद की ख़ुशी को ढूँढता हुआ
जो पल मुझे मिले ही नहीं कभी
उन्हीं लम्हों का दामन पकड़े,
मैं तन्हा चाँद को निहारता हुआ !



कोई आके पास बैठे मेरे
ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे

एक हवा का झोंका आया अभी
किसी की ख़ुशबू साथ लाया है
जाना पहचाना सा एक साया है
ख़्वाब नहीं अब हकीक़त की चौखट पे हूँ मैं
कुछ बात तो है उसमे भी, मुझसे ही मिलती जुलती
शायद उसकी भी साँस कुछ अधूरी सी
लबों की प्यास भी अधूरी सी
अभी कोई, पास मेरे आया है
अब तन्हा नहीं हूँ मैं,
चेहरे पे छायी ज़ुल्फें, मचलती हुई बाहों के सहारे हैं
ज़िन्दगी से मेरी, मुलाक़ात हुई है अभी
अब तन्हा नहीं हूँ मैं,
लगता है मेरी रूह तक में कोई समाया है !! ~♥ कल्प ♥~

Tuesday, December 13, 2011

हर पल जीने का जी करता है !! ~♥ कल्प ♥~

एक पल तो जीने दो
थक गया हूँ चलते चलते अब कहीं ठहरने दो
जाने कितनी ख्वाहिशें बाँध के रखी थी मैंने
अब मुझे ज़रा उन्हें आज़ाद करने दो !!

एक पल तो जीने दो
लबों पे हंसी जो कभी आयी तो आंसू बह निकले
उन लम्हों की एक माला पिरो की रखी थी मैंने
अब मुझे ज़रा ये मोती बिखेरने दो !!

एक पल तो जीने दो
सूरज की लाली है अभी आसमान में
धुली-धुली राहें है सामने , दूर तक खिले हुए फूल हैं
इन ओस की बूंदों में अभी सपने कल के हैं

इन सपनों को पलकों पे मेरी सजने दो ज़रा
साँस लेने दो ज़रा फिर से ख्वाबों को
अब एक पल नहीं ,
मुझे ज़िन्दगी का हर पल जीने दो !! ~♥ कल्प ♥~

प्यार होता है ♥ kalp ♥


ख़ामोशियाँ जब बात करती हैं ~~ प्यार होता है ,
तनहाइयाँ जब हँसाती हैं ~~ प्यार होता है ,
कोई नहीं है , फिर भी हर आहट पे यूँ लगता है वो आये ,
नज़रें हर पल दीदार को तरसती हैं ~~ यही तो प्यार होता है !
~♥ कल्प ♥~
बिन मौसम बादल बरश जाते हैं ~~ प्यार होता है ,
यादों में उनकी खोये रहते हैं ~~ प्यार होता है ,
अब तो आईना भी पूछता है, कि कौन है ये " कल्प ",
घर का अपने अक्सर रास्ता भूल जाते हैं ~~ यही तो प्यार होता है !!
~♥ कल्प ♥~

Sunday, December 11, 2011

कोई हसीं ख़्वाब ढूंढते हैं

दर्द भरी ज़िन्दगी का सुराग ढूंढते हैं

है अँधेरा बहुत यहाँ एक चिराग ढूंढते हैं


बनाये थे तमाशा ज़िन्दगी को इस तरह


के उन मेहेरबानो का इलाज ढूंढते हैं


कोई इन अंधेरों में मेरी दिल की शमा जला दे


हम अपनी बदनसीबी का राज़ ढूंढते हैं


हसरत का आईना ये पत्थर दिल से टूट गया


शीशों के इन टुकड़ों में अपना आज ढूंढते हैं


माज़ी के तल्ख़ लम्हों ने हमें झुलस के रख दिया


दिल को भुलाने के लिए कोई हसीं ख़्वाब ढूंढते हैं !!

Friday, December 9, 2011

मेरे होंठ मत सी

मेरे होंठ मत सी ,

मुझे इज़हार का मौका दे दे ..

इश्क जुर्म है तो इक़रार का मौका दे दे ..

आँखों आँखों ही में कह लूँगा जो कहना है मुझे ..

एक पल के लिए दीदार का मौका दे दे ..

कर ले क़ुबूल मेरी ख़ामोश मोहब्बत ..

या सर-ए-आम मुझे प्यार का मौका दे दे ..

ख़त्म कर दे दर-ओ-दीवार की हर पाबन्दियाँ ..

अब मुझे पहलू में आने का मौका दे दे ..

जीत जाना मेरा शायद तुझे बर्दाश्त न हो ..

खेल ऐसा कोई खेल के मुझे हार का मौका दे दे !!

ये प्यारा सा जो रिश्ता है

ये प्यारा सा जो रिश्ता है ,
कुछ मेरा है , कुछ तेरा है ,

कहीं लिखा नहीं , कहीं पढ़ा नहीं ,
कहीं देखा नहीं , कहीं सुना नहीं ,


फिर भी जाना पहचाना है ,
कुछ मेरा है , कुछ तेरा है ,

कुछ मासूम सा , कुछ अलबेला ,
कुछ अपना , कुछ बेगाना ,

कुछ चंचल सा , कुछ शर्मीला ,
कुछ शोख़ सा , कुछ संजीदा ,

कुछ उलझा हुवा , कुछ सुलझा हुवा ,
कुछ मस्ती भरा , कुछ खफ़ा खफ़ा ,

कुछ मेरा है , कुछ तेरा है ,
ये प्यारा सा जो रिश्ता है ....!! ♥ !!

Thursday, December 8, 2011

इस ख़वाहिश पे भी पहरेदार बैठे हैं

कुछ लोग सितम करने को तय्यार बैठे है
कुछ लोग मगर हम पे दिल हार बैठे हैं
इस कशमकश में पहचाने नहीं जाते
कहाँ दुश्मन और कहाँ दोस्त, यार बैठे हैं
इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये हज़ूर !
कोई इस पार, तो कोई उस पार बैठे हैं
कौन कहता है, कि इस शहर में सारे है बेवफ़ा
हमारे सामने वफ़ादार, दो चार बैठे हैं
कल तक जिन्हें हसरत थी हमें बर्बाद करने की
आज वही लोग, अपने किये पे शर्मसार बैठे हैं
दुनिया से रूठ जाने की खवाहिश है हमारी
क्या करूँ, इस ख़वाहिश पे भी पहरेदार बैठे हैं !!

Tuesday, December 6, 2011

किसी अजनबी की बातें

कभी रात भर के झगड़े कभी चाहतों की बातें,

वही आप ही के किस्से वही आप ही  की बातें,

वो मिला है मुझको अक्सर सर-ए-राह चलते चलते,

वही अजनबी निगाहें वही बेरुख़ी की बातें,

न समझ सका जहां मैं कोई मेरा दर्द यारों,

मेरे ग़म को लोग समझे मेरी शायरी की बातें,

कोई हमको ये बताये ये जुनून नहीं तो क्या है ..?

मिले जब भी हम किसी से करें आप ही की बातें,

मेरे हाल पर वो यारों कुछ ऐसे मुस्कुराये,

के वो सुन रहे हों जैसे किसी अजनबी की बातें !!

Monday, December 5, 2011

मैं उसी राह चलता जांऊ ~♥ kalp ♥~

ज़िन्दगी जिस राह ले गयी, उसी राह चलता रहा,
सपने आँखों पे पलते रहे, मैं तन्हा चाँद को निहारता रहा,

वक़्त भी हमेशा एक ही करवट चलता रहा,
भोर का तारा मुझसे कई सवाल करता रहा,

दोसरों की ख़ुशी में, अपने चहरे की हंसी तलाशता रहा,
हर वक़्त, हर महफ़िल में, अपने आँसू तन्हा मैं पीता रहा,

एक कोई आये मेरी राहों की मंजिल बनके,
फ़िर ज़िन्दगी जिस राह ले जाये मुझे, मैं उसी राह चलता जांऊ !! ~♥ kalp ♥~

Sunday, December 4, 2011

नफ़रत का गुमान होता है

वो जाते जाते कह गया हम सिर्फ तुम्हारे ख्वाबों मैं आएंगे

कोई कह दे उनसे वो वादा तो करे हम ज़िन्दगी भर के लिए सो जाएंगे...!
 
मेरे दिल की उम्मीदो का होंसला तो देखो

मुझे इंतजार उस का है जिसे मेरा एहसास तक नहीं ...!
 
बे- रूखी  हि सही मगर सोते हुए कुछ तो कह दिया करो

चुपके से सो जाते हो नफ़रत का गुमान होता है...!
 
 
 

Saturday, December 3, 2011

बरसों इबादत कर के

कभी जज्बों कभी ख़्वाबों की  तिज़ारत कर के
दिल ने दुःख-दर्द कमाए हैं मोहब्बत कर के

तुम जब आओगे तो महफूज़ मिलेंगे तुम को
हम ने दफ़नाए हैं कुछ ख़्वाब अमानत कर के

एक ज़रा सी भूल हुई और उसे खो बेठे
हमने पाया था जिसे बरसों इबादत कर के !!

दूर हो के रह भी नहीं सकते


न तुझे छोड़ सकते हैं, तेरे हो भी नहीं सकते,
ये कैसी बेबसी है आज, हम रो भी नहीं सकते !

ये कैसा दर्द है , पल - पल हमें तडपाये रखता है,
तुम्हारी याद आती है तो फिर, सो भी नहीं सकते !

छुपा सकते हैं, और न दिखा सकते हैं लोगों को,
कुछ ऐसे दाग़ हैं दिल पर, जो हम धो भी नहीं सकते !

कहा तो था छोड़ देंगे तुम को , फिर रुक गए लेकिन,
तुम्हें पा तो नहीं सकते, मगर छोड़ भी नहीं सकते !

हमारा एक होना भी , नहीं मुमकिन रहा अब तो,
जियें कैसे, कि तुम से दूर हो के रह भी नहीं सकते !!

Friday, December 2, 2011

तुझसे शिकायत होगी

वो किसी और का होगा तो क़यामत होगी,

फिर किसी को भी किसी से न मोहब्बत होगी,

उसे देखे कोई अच्छा नहीं लगता मुझेको,

रात कल चाँद को देखा तो ये एहसास हुआ,

वो अकेला है उसे मेरी ज़रुरत होगी,

ऐ “खुदा” उसको किसी और का होने न देना,

ज़िन्दगी भर मुझे फिर तुझसे शिकायत होगी !!

सारा ज़माना चाहिए था

हुआ जो कुछ, भुलाना चाहिए था
उसे  अब लौट आना चाहिए था,


ये सारा बोझ मेरे सर पे क्यूँ है?
उसे भी ग़म उठाना चाहिए था

क्यूँ चुप चाप ही तालुक़ तोड़ दिया
उसे पहले बताना चाहिए था,

उसी की याद की ख़ुशबू है दिल में

मुझे जिस को भुलाना चाहिए था,

ज़रा ग़लती पे मुझ से रूठ बता
उसे क्या बस ….!!!! बहाना चाहिए था,


मुझे पा कर उसे क्या चैन मिलता !
जिसे सारा ज़माना चाहिए था..!!!

तुमसे मोहब्बत भी होगी

चाहत के परदे में नफ़रत है मुमकिन

तो नफ़रत के परदे में चाहत भी होगी

अगर कोई ख़फा होता है तुमसे अपना समझ कर

तो उसको यक़ीनन तुमसे मोहब्बत भी होगी !!

Thursday, December 1, 2011

यूँ हो भी सकता है

यक़ीन आता नहीं दिल को कि ऐसा हो भी सकता है,

हमारा हाल-ए-ग़म सुनकर वो ज़ालिम रो भी सकता है,

कभी इन्सान अकेला हो के भी तन्हा नहीं होता,

सर-ए-महफ़िल कभी बैठे बिठाये खो भी सकता है,

ताज़ुब क्यों है तुमको हमारी बे-गुनाही पर,

कर्म का एक क़तर दाग़े-ए-दामन धो भी सकता है,

कभी इन्सान को नींद आती नहीं फूलों के बिस्तर पर,

कभी पत्थर पे सर रख कर मज़े से सो भी सकता है,

वो कहते हैं तेरी ख़ातिर सितारे तोड़ लायेंगे,

बा-ज़ाहिर यूँ नहीं होता मग़र यूँ हो भी सकता है !!



~♥ kalp ♥~

ज़रूरत नहीं मुझे

जब तू साथ है तो किसी की ज़रूरत नहीं मुझे
हर तरफ अँधेरा है पर रौशनी की ज़रूरत नहीं मुझे,

कोई रहता है हर वक़्त ख्यालों में इस तरह
के ख़वाब देखने की ज़रूरत नहीं मुझे,

एक दोस्त है जो बाँट लेता है हर दुःख मेरा
हर किसी को अपना ग़म बताने की ज़रूरत नहीं मुझे,

उसकी हर बात लाजवाब है मेरे लिए
उसकी तारीफ़ करने की ज़रूरत नहीं मुझे,

उसकी आँखों की कशिश कहीं जाने नहीं देती मुझे
उसके इलावा किसी को अपना बनाने की ज़रूरत नहीं मुझे !!

तुझे देखने के बाद

हर शख्स दीवाना है तुझे देखने के बाद
दावा मेरा सही है तुझे देखने के बाद,

आये हैं तेरे शहर में तो लौट के न जाएँगे
ये फैसला किया है तुझे देखने के बाद,

सजदा तुझे करूँगा तो काफ़िर कहेंगे लोग
ये कौन सोचता है तुझे देखने के बाद,

कहते हैं तुझे लोग मसीहा, मगर यहाँ
एक शख्स मर गया है तुझे देखने के बाद,

सजदा तुझे करूँ के नक्श-ए-क़दम चूमती राहों
घर काबा बन गया है तुझे देखने के बाद,

रहता हूँ खोया खोया अब हर वक़्त

ये हाल हो गया है तुझे देखने के बाद !!

~♥ kalp ♥~

क़दम " माँ " के चूम लें



लोग मस्जिदों में जन्नत तलाश करते हैं 'ग़ालिब'


फुर्सत इतनी नहीं होती कि क़दम " माँ " के चूम लें !!


Wednesday, November 30, 2011

तेरी याद


कभी हमें हँसा जाती है,
कभी रुलाती है ..... तेरी याद ! 

कभी तन्हाई में महफ़िल सजाती है,
कभी महफ़िल में तन्हा कर जाती है .... तेरी याद !

कभी तेरे होने का यकीन दिलाती है
कभी तेरी कमी का एहसास जगाती है 

कभी मेरे ख़्वाबो को सजाती है
कभी हकीक़त से रूबरू करवाती है 

कभी ख़ुशी की वजह बनजाती है
कभी ग़म का सबब होती है 

कभी तेरा प्यार ले आती है
कभी मेरी जान लेजाती है 

कभी दिलको सुकून देजाती है
कभी बहुत तडपाती है 

अब आजाओ के बहुत आती है ---तेरी याद !!

Tuesday, November 29, 2011

लेकिन कभी रोया नहीं

ग़म की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं
तू ने मुझको खो दिया , मैंने तुझे खोया नहीं

नींद का हल्का गुलाबी सा ख़ुमार आंखों में था
यूँ लगा जैसे वो शब् को देर तक सोया नहीं

हर तरफ दीवार- ओ - दर और उनमें आँखों का हुजूम
कह सके जो दिल की हालत वो लब- ए- गोया नहीं

जुर्म आदम ने किया और नस्ल- ए- आदम को सज़ा
काटता हूँ ज़िन्दगी भर मैंने जो बोया नहीं

जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी ‘ मुनीर ’
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं !!

मना लूँ तुझको


दिल तो कहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझको

दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझको

कोई अहसास जुदाई का न रहने पाए

इस तरह खुद में मेरी जान समां लूँ तुझ को

तू जो रूठ जाये कभी मुझसे मेरे दिल के मालिक,

सारी दुनिया से ख़फा हो कर मना लूँ तुझको !!

तो क्या बात है

किताबों के पन्नों को पलट कर सोचता हूँ
पलट जाये मेरी भी ज़िन्दगी तो क्या बात है

ख़्वाबों में रोज़ मिलता है जो
अगर हक़ीक़त में मिल जाये तो क्या बात है

कुछ मतलब के लिए ढूँढ़ते है मुझको
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है

जो शरीफ़ों की शराफ़त में न हो
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है

क़त्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा
कोई चाहत से ले जाये तो क्या बात है

सबको खुशियाँ बाँटू दिल-ओ-जान से कोशिश है मेरी 

हर शक्श मेरे जहान में खुश रहे तो क्या बात है !!

अब तलाश है मुझे.


इतने दोस्तों में भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे 

छोड़ आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे
अब डूब रहा हूँ तो एक साहिल की तलाश है

लड़ना चाहता हूँ इन अन्धेरो के ग़मो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

तंग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन ज़िन्दगी की तलाश है मुझे

दीवना हूँ मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की अब तलाश है मुझे..

Monday, November 28, 2011

ख़ुदा जाने क्या हो

हर लम्हा गीत बन जाता है तेरे पहलू में आ के
जो तू गुनगुना दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

तेरी साँस से देखी हर - सु महेकती खुशबू
जो तू मुस्कुरा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

तेरे सिमटे गेसू जैसे आसमान बंधा हो
जो तू लहरा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

लाख मोती लगे हैं तेरे हाथ मेहँदी के
जो तू लुटा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

तेरे नक़ाब ने बना दिया चर्चा शहर में
जो तू हटा दे तो ख़ुदा जाने क्या हो

कई राज़ छुपे हैं ज़माने की इन आँखों में
जो तू बता दे तो ख़ुदा जाने क्या हो !!

अपनों को तलाशता आदमी

दुनिया की भीड़ में अपनी पहचान खोता आदमी,
सुनसान रास्तों पे तनहा चलता आदमी,
सब कुछ पास होते हुए भी जाने क्या चाहता है,
अपनों में खुद, अपनों को तलाशता आदमी !! ♥ कल्प ♥

तमन्ना सज़ा की थी

सफ़र -ए -वफ़ा की राह में मंज़िल जफ़ा की थी
काग़ज़ का घर बनाके भी ख्वाहिश हवा की थी

थी जुगनूं के शहर में तारों से दुश्मनी
माशूक चाँद था और तमन्ना सुबह की थी

मैंने तो ज़िन्दगी को तेरे नाम लिखा था
मग़र शायद कुछ और ही मर्ज़ी ख़ुदा की थी

दर्द ही देना था तो पहले बता देते
हमको भी पहले से ही तमन्ना सज़ा की थी

Sunday, November 27, 2011

हम जीते और मरते एक ही बार हैं

उसने कहा तुममें पलहे जैसी बात नहीं
मैंने कहा ~ ज़िन्दगी में तेरा साथ नहीं
उसने कहा अब भी किसी की आँखों में डूब सकते हो
मैंने कहा ~ किसी की आँखों में वो बात नही
उसने कहा क्यूँ इतना टूट कर चाहा मुझे
मैंने कहा ~ मोहब्बत है कोई खयाल नहीं
उसने कहा क्या बेवफ़ा हूँ मैं ?
मैंने कहा ~ मुझे अब वफ़ा पर ऐतबार नहीं

उसने कहा तो भूल जाओ मुझे
मैंने कहा ~ तुम हकीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं

उसने कहा किसी और से फिर से प्यार क्यूँ नहीं कर लेते
मैंने कहा ~ हम जीते और मरते एक ही बार हैं बार बार नही !! 

 

Saturday, November 26, 2011

क्यूँ नहीं

मिल मिल के बिछड़ने का मज़ा क्यूँ नहीं देते
हर बार कोई ज़ख्म नया क्यूँ नहीं देते ?


ये रात ,ये तन्हाई ये सुनसान दरीचे
चुपके से मुझे आ के सदा क्यूँ नहीं देते ?


है जान से प्यारा मुझे ये दर्द-ए-मुहब्बत
कब मैंने कहा तुमसे दवा क्यूँ नहीं देते ?


                         ग़र अपना समझते हो तो फ़िर दिल में जगह दो
हूँ ग़ैर तो महफ़िल से उठा क्यूँ नहीं देते ?

जहाँ रास्ता नहीं होता

"ख़ुदा ने जानकर नहीं लिखा उसे मेरी क़िस्मत में
कि सारे जहां की ख़ुशियाँ एक शख्स को कैसे देता"


"अब कौन खरीदेगा तेरे आंसू हीरों के दाम
वो जो इक दर्द का 
ख़रीदार था , दुकान छोड़ गया"


"कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"


"ख्वाहिशों का काफ़िला भी अजीब ही है
अक्सर वहीँ से गुजरता है जहाँ रास्ता नहीं होता"

कुछ उमर की पहली मंज़िल थी

कुछ  उमर   की  पहली  मंज़िल थी
कुछ  रस्ते  थे  अनजान  बोहत

कुछ  हम  भी  पागल  थे  लेकिन
कुछ  वो  भी  थे  नादान  बोहत

कुछ  उसने  भी  न  समझाया
ये  प्यार  नहीं  आसन  बोहत

आख़िर हम  ने  भी  खेल  लिया
जिस  खेल  में  थे  नुक्सान बोहत 

Friday, November 25, 2011

जिसकी आरजू थी


जिसकी आरजू थी उसीका ही प्यार न मिला .
बरसो जिसका इंतजार किया उसीका ही साथ न मिला .

अजीब खेल है ये मोहब्बत का
किसीको हम न मिले और कोई हमे न मिला !!

ख़ुशी के साथ

मंसूब थे  जो  लोग  मेरी  ज़िन्दगी के  साथ,
अक्सर  वही  मिले  हैं  बड़ी  बे-रुखी  के  साथ !

यूं तो  मैं हँस पड़ा  हूँ  तुम्हारे  लिए  मग़र,
कितने  सितारे  टूट  पड़े एक  हँसी के  साथ !

फ़ुर्सत मिले  तो  अपना  गरेबां भी  देख ले ,
ए-दोस्त  यूँ न  खेल  मेरी  बे - बसी  के  साथ !

मजबूरियों  की  बात  चली  है तो  मय कहाँ ,
हमने  पिया  है  ज़हर  भी  अक्सर  ख़ुशी  के  साथ !

कोई रसम तक न निभा सकी


न  मैं  पास  उसको  बुला  सकी
न  मैं  दिल  की  बात  बता  सकी !
वोह  हंसी  हंसी  मैं  ही  चल  दिए
कि  मैं  होठ तक  न  हिला  सकी !!

यूँ  ही  सोचती  रही  दूर  तलक
मगर  उसको  कुछ  न  बता  सकी !
ये  मुक़ाम ही  था  अजीब  सा  के
मैं  खुद  को  भी  न  बचा  सकी !!

वो  जुदा  भी  ऐसे  हुआ  कि  मैं
कोई  रसम  तक  न  निभा  सकी !!!

Thursday, November 24, 2011

मुझे तुम .. “याद आते हो

ज़रा  ठहरो … “चले  जाना ”,
मुझे  कुछ .. “तुम  से  कहना  है ”,

ज़्यादा.. “वक़्त  नहीं  लूँगा ”,
ज़रा  सी    “बात   करनी    है ”,

न   दुःख  .. “अपने  सुनाने  हैं ”,
न  कोई .. “फ़रियाद करनी  है ”,

न  ये .. “मालूम  करना  है ”,
के अब .. “हालात कैसे  हैं ”,

तुम्हारे .. “हमसफ़र  थे  जो ”,
तुम्हारे , “साथ  कैसे  हैं ”,

न  ये .. “मालूम  करना  है ”,
तेरे .. “दिन  रात  कैसे  हैं ”,

मुझे  बस .. “इतना  कहना  है ”,
मुझे  तुम .. “याद  आते  हो “,

“बहुत  ही  याद  आते  हो ……!!!!


~♥"-DiL DhOONdhTa HAi-"~♥: मेरी नींद भी उसी की है

~♥"-DiL DhOONdhTa HAi-"~♥: मेरी नींद भी उसी की है: मुझ में ख़ुशबू बसी उसी की है जैसे ये ज़िन्दगी उसी की है वो कहीं आस पास है मौजूद हू बहू ये हँसी उसी की है यानि कोई ...

मेरी नींद भी उसी की है

मुझ  में  ख़ुशबू  बसी  उसी  की  है,
जैसे  ये  ज़िन्दगी  उसी  की  है,


वो  कहीं  आस  पास  है  मौजूद,
हू  बहू  ये  हँसी  उसी  की  है,


यानि  कोई  कमी  नहीं  मुझ  में,
मुझ  में  कमी  उसी  की  है,


क्या  मेरे  ख्व़ाब  भी  नहीं  मेरे,
क्या  मेरी  नींद  भी  उसी  की  है !!

Wednesday, November 23, 2011

सितारे आसमान के


छू लो सितारे आसमान के कितने भी ,

लेकिन देखो कहीं पैर ज़मी से उठने न पाएं.. ♥ ~कल्प~ ♥

Tuesday, November 22, 2011

मोहब्बत मार गई

कुछ  उन  की  वफाओं  ने  लूटा,  कुछ  उनकी  इनायत  मार  गई ,
हम  राज़-ए-मोहब्बत  कह  न  सके , चुप  रहने  की  आदत  मार  गई ,

दिल  ने  भी  बहुत  मजबूर किया , मिलने  भी  लाखों  बार  गए ,
जी  भर  के  उन्हें  न  देख  सके , आँखों  की  शराफ़त मार  गई ,

वो  कौन  है जिन  को  जीने  का  पैग़ाम , मोहब्बत  देती  है ,
हम  को  तो  ज़माने  मैं  ए  दिल , बे -दर्द  मोहब्बत  मार  गई ,

दोनों  से  ही  शिक़ायत  है , इल्ज़ाम अब  किस  पर  लगाएं ,
कुछ  दिल  ने  हमें  बर्बाद  किया  और  कुछ  अपनी  क़िस्मत मार  गई .

मिलने आते हो तो लौट के जाते क्यूँ हो ..

अपने  हाथों  से  यूँ  चेहरा  छुपाते  क्यूँ  हो
मुझसे  शरमाते  हो  तो  सामने  आते  क्यूँ  हो

तुम  कभी  मेरी  तरह  कर  भी  लो  इकरार - ए - वफ़ा
प्यार  करते  हो  तो  फिर  प्यार  छुपाते  क्यूँ  हो

अश्क  आँखों  में  मेरी  देख  के  रोते  क्यूँ  हो
दिल  भर  आता  है  तो  फिर  दिल  को  दुखाते  क्यूँ  हो

उनसे  वाबस्ता  है  जब  मेरा  मुक़द्दर  फिर  तुम
मेरे  शानों  से  ये  ज़ुल्फ़  अपनी  हटाते  क्यूँ  हो

रोज़  मर -मर  के  मुझे  जीने  को  कहते  क्यूँ  हो
मिलने  आते  हो  तो  लौट  के  जाते  क्यूँ  हो !!.