"ख़ुदा ने जानकर नहीं लिखा उसे मेरी क़िस्मत में
कि सारे जहां की ख़ुशियाँ एक शख्स को कैसे देता"
"अब कौन खरीदेगा तेरे आंसू हीरों के दाम
वो जो इक दर्द का ख़रीदार था , दुकान छोड़ गया"
"कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"
"ख्वाहिशों का काफ़िला भी अजीब ही है
कि सारे जहां की ख़ुशियाँ एक शख्स को कैसे देता"
"अब कौन खरीदेगा तेरे आंसू हीरों के दाम
वो जो इक दर्द का ख़रीदार था , दुकान छोड़ गया"
"कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"
"ख्वाहिशों का काफ़िला भी अजीब ही है
अक्सर वहीँ से गुजरता है जहाँ रास्ता नहीं होता"
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