किताबों के पन्नों को पलट कर सोचता हूँ
पलट जाये मेरी भी ज़िन्दगी तो क्या बात है
ख़्वाबों में रोज़ मिलता है जो
अगर हक़ीक़त में मिल जाये तो क्या बात है
कुछ मतलब के लिए ढूँढ़ते है मुझको
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है
जो शरीफ़ों की शराफ़त में न हो
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है
क़त्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा
कोई चाहत से ले जाये तो क्या बात है
सबको खुशियाँ बाँटू दिल-ओ-जान से कोशिश है मेरी
हर शक्श मेरे जहान में खुश रहे तो क्या बात है !!
पलट जाये मेरी भी ज़िन्दगी तो क्या बात है
ख़्वाबों में रोज़ मिलता है जो
अगर हक़ीक़त में मिल जाये तो क्या बात है
कुछ मतलब के लिए ढूँढ़ते है मुझको
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है
जो शरीफ़ों की शराफ़त में न हो
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है
क़त्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा
कोई चाहत से ले जाये तो क्या बात है
सबको खुशियाँ बाँटू दिल-ओ-जान से कोशिश है मेरी
हर शक्श मेरे जहान में खुश रहे तो क्या बात है !!
behtarin rachana...
ReplyDeletekya baat hai...