न मैं पास उसको बुला सकी
न मैं दिल की बात बता सकी !
वोह हंसी हंसी मैं ही चल दिए
कि मैं होठ तक न हिला सकी !!
यूँ ही सोचती रही दूर तलक
मगर उसको कुछ न बता सकी !
ये मुक़ाम ही था अजीब सा के
मैं खुद को भी न बचा सकी !!
वो जुदा भी ऐसे हुआ कि मैं
कोई रसम तक न निभा सकी !!!
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