मंसूब थे जो लोग मेरी ज़िन्दगी के साथ,
अक्सर वही मिले हैं बड़ी बे-रुखी के साथ !
यूं तो मैं हँस पड़ा हूँ तुम्हारे लिए मग़र,
कितने सितारे टूट पड़े एक हँसी के साथ !
फ़ुर्सत मिले तो अपना गरेबां भी देख ले ,
ए-दोस्त यूँ न खेल मेरी बे - बसी के साथ !
मजबूरियों की बात चली है तो मय कहाँ ,
हमने पिया है ज़हर भी अक्सर ख़ुशी के साथ !
अक्सर वही मिले हैं बड़ी बे-रुखी के साथ !
यूं तो मैं हँस पड़ा हूँ तुम्हारे लिए मग़र,
कितने सितारे टूट पड़े एक हँसी के साथ !
फ़ुर्सत मिले तो अपना गरेबां भी देख ले ,
ए-दोस्त यूँ न खेल मेरी बे - बसी के साथ !
मजबूरियों की बात चली है तो मय कहाँ ,
हमने पिया है ज़हर भी अक्सर ख़ुशी के साथ !
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