कुछ उन की वफाओं ने लूटा, कुछ उनकी इनायत मार गई ,
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके , चुप रहने की आदत मार गई ,
दिल ने भी बहुत मजबूर किया , मिलने भी लाखों बार गए ,
जी भर के उन्हें न देख सके , आँखों की शराफ़त मार गई ,
वो कौन है जिन को जीने का पैग़ाम , मोहब्बत देती है ,
हम को तो ज़माने मैं ए दिल , बे -दर्द मोहब्बत मार गई ,
दोनों से ही शिक़ायत है , इल्ज़ाम अब किस पर लगाएं ,
कुछ दिल ने हमें बर्बाद किया और कुछ अपनी क़िस्मत मार गई .
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके , चुप रहने की आदत मार गई ,
दिल ने भी बहुत मजबूर किया , मिलने भी लाखों बार गए ,
जी भर के उन्हें न देख सके , आँखों की शराफ़त मार गई ,
वो कौन है जिन को जीने का पैग़ाम , मोहब्बत देती है ,
हम को तो ज़माने मैं ए दिल , बे -दर्द मोहब्बत मार गई ,
दोनों से ही शिक़ायत है , इल्ज़ाम अब किस पर लगाएं ,
कुछ दिल ने हमें बर्बाद किया और कुछ अपनी क़िस्मत मार गई .
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