ग़म की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं
तू ने मुझको खो दिया , मैंने तुझे खोया नहीं
नींद का हल्का गुलाबी सा ख़ुमार आंखों में था
यूँ लगा जैसे वो शब् को देर तक सोया नहीं
हर तरफ दीवार- ओ - दर और उनमें आँखों का हुजूम
कह सके जो दिल की हालत वो लब- ए- गोया नहीं
जुर्म आदम ने किया और नस्ल- ए- आदम को सज़ा
काटता हूँ ज़िन्दगी भर मैंने जो बोया नहीं
जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी ‘ मुनीर ’
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं !!
तू ने मुझको खो दिया , मैंने तुझे खोया नहीं
नींद का हल्का गुलाबी सा ख़ुमार आंखों में था
यूँ लगा जैसे वो शब् को देर तक सोया नहीं
हर तरफ दीवार- ओ - दर और उनमें आँखों का हुजूम
कह सके जो दिल की हालत वो लब- ए- गोया नहीं
जुर्म आदम ने किया और नस्ल- ए- आदम को सज़ा
काटता हूँ ज़िन्दगी भर मैंने जो बोया नहीं
जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी ‘ मुनीर ’
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं !!
acchi rachana hai...ise padhakar ek shayari yad aa gayi...
ReplyDelete""ankho se ansu futkar samandar ban gaya
dil tut ke yu bikhara ki khanjar ban gaya
jise yu mom si najuk samajhta tha wo dil dard se gujara to patthar ban gaya...""