वो नहीं मेरा , मगर उस से मोहब्त है तो है ,
ये अगर रस्मों रिवाजो से , बग़ावत है तो है ,
सच को मैं ने सच कहा , जब कह दिया तो कह दिया ,
अब ज़माने की नज़र में , ये हिमाक़त है तो है ,
दोस्त बन कर दुश्मनों सा , वो सताता है मुझे ,
फिर भी पत्थर दिल पे मरना , अपनी फितरत है तो है ,
कब कहा मैंने के वो मिल जाये मुझको एक बार ,
उस की बाहों में ये दम निकले , ये हसरत है तो है .
ये अगर रस्मों रिवाजो से , बग़ावत है तो है ,
सच को मैं ने सच कहा , जब कह दिया तो कह दिया ,
अब ज़माने की नज़र में , ये हिमाक़त है तो है ,
दोस्त बन कर दुश्मनों सा , वो सताता है मुझे ,
फिर भी पत्थर दिल पे मरना , अपनी फितरत है तो है ,
कब कहा मैंने के वो मिल जाये मुझको एक बार ,
उस की बाहों में ये दम निकले , ये हसरत है तो है .
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