मेरे होंठ मत सी ,
मुझे इज़हार का मौका दे दे ..
इश्क जुर्म है तो इक़रार का मौका दे दे ..
आँखों आँखों ही में कह लूँगा जो कहना है मुझे ..
एक पल के लिए दीदार का मौका दे दे ..
कर ले क़ुबूल मेरी ख़ामोश मोहब्बत ..
या सर-ए-आम मुझे प्यार का मौका दे दे ..
ख़त्म कर दे दर-ओ-दीवार की हर पाबन्दियाँ ..
अब मुझे पहलू में आने का मौका दे दे ..
जीत जाना मेरा शायद तुझे बर्दाश्त न हो ..
खेल ऐसा कोई खेल के मुझे हार का मौका दे दे !!
मुझे इज़हार का मौका दे दे ..
इश्क जुर्म है तो इक़रार का मौका दे दे ..
आँखों आँखों ही में कह लूँगा जो कहना है मुझे ..
एक पल के लिए दीदार का मौका दे दे ..
कर ले क़ुबूल मेरी ख़ामोश मोहब्बत ..
या सर-ए-आम मुझे प्यार का मौका दे दे ..
ख़त्म कर दे दर-ओ-दीवार की हर पाबन्दियाँ ..
अब मुझे पहलू में आने का मौका दे दे ..
जीत जाना मेरा शायद तुझे बर्दाश्त न हो ..
खेल ऐसा कोई खेल के मुझे हार का मौका दे दे !!
दिल के सुंदर एहसास
ReplyDeleteapne pyar ke ijhar ko tarasati vytha ki sundar prstuti dikhati hai apki is rachana me...
ReplyDeletedil ko chhu lenewali rachana hai...