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Friday, December 16, 2011

ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे ~♥ kalp ♥~

कुछ बात तो है मुझमे
पर क्या है, पता नहीं


कोई आके पास बैठे मेरे
ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे


जाने कब से अपने ही साथ बैठा हूँ
कुछ गुम सुम सा, कुछ उदास
हर साँस अधूरी सी लेता हुआ
फिर जाने किस बात पे, देर तक हँसता हुआ
वक़्त के गुज़रे लम्हों को शायद, बटोरता हुआ !


कोई आके पास बैठे मेरे
ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे


अपनी पहचान तलाशता हुआ
ग़ैरों की हँसी में, ख़ुद की ख़ुशी को ढूँढता हुआ
जो पल मुझे मिले ही नहीं कभी
उन्हीं लम्हों का दामन पकड़े,
मैं तन्हा चाँद को निहारता हुआ !



कोई आके पास बैठे मेरे
ज़िन्दगी से मेरी, कोई मिलाये मुझे

एक हवा का झोंका आया अभी
किसी की ख़ुशबू साथ लाया है
जाना पहचाना सा एक साया है
ख़्वाब नहीं अब हकीक़त की चौखट पे हूँ मैं
कुछ बात तो है उसमे भी, मुझसे ही मिलती जुलती
शायद उसकी भी साँस कुछ अधूरी सी
लबों की प्यास भी अधूरी सी
अभी कोई, पास मेरे आया है
अब तन्हा नहीं हूँ मैं,
चेहरे पे छायी ज़ुल्फें, मचलती हुई बाहों के सहारे हैं
ज़िन्दगी से मेरी, मुलाक़ात हुई है अभी
अब तन्हा नहीं हूँ मैं,
लगता है मेरी रूह तक में कोई समाया है !! ~♥ कल्प ♥~

2 comments:

  1. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!

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  2. bahut hi sundar komal bhavo se saji rachana hai...

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