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Saturday, December 3, 2011

बरसों इबादत कर के

कभी जज्बों कभी ख़्वाबों की  तिज़ारत कर के
दिल ने दुःख-दर्द कमाए हैं मोहब्बत कर के

तुम जब आओगे तो महफूज़ मिलेंगे तुम को
हम ने दफ़नाए हैं कुछ ख़्वाब अमानत कर के

एक ज़रा सी भूल हुई और उसे खो बेठे
हमने पाया था जिसे बरसों इबादत कर के !!

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