Monday, February 27, 2012
Wednesday, February 22, 2012
Wednesday, February 8, 2012
साहिलों की रेत के जैसे !! ~♥ कल्प ♥~
तो सुर्ख़ गुलाब की सूखी , चंद पंखुरियाँ बिखरी हुई मिलीं ,
एक-एक पंखुरी में हज़ार-हजार यादें , मुझे पुकारती हुई मिलीं ,
पंखुरियों को छुआ तो , उनके चेहरे का नर्म एहसास हुआ ,
हथेलिओं पे रखा तो , उनके चेहरे का दीदार हुआ ,
इन नम आखों में तैरती तस्वीर , उन्हीं की आज भी है ,
दिल में बसी ख़ुशबू भी , उसी सुर्ख गुलाब की आज भी है ,
जाने क्यूँ ये वक़्त रुलाता रहता है अक्सर ,
जाने क्यूँ ज़िन्दगी गुजरती जाती है तन्हा ,
हर लम्हें को इतना कस के मुट्ठी में पकड़े हूँ फिर भी ,
ये फिसलते जाते हैं , यूँ साहिलों की रेत के जैसे !! ~♥ कल्प ♥~
इन नम आखों में तैरती तस्वीर , उन्हीं की आज भी है ,
दिल में बसी ख़ुशबू भी , उसी सुर्ख गुलाब की आज भी है ,
जाने क्यूँ ये वक़्त रुलाता रहता है अक्सर ,
जाने क्यूँ ज़िन्दगी गुजरती जाती है तन्हा ,
हर लम्हें को इतना कस के मुट्ठी में पकड़े हूँ फिर भी ,
ये फिसलते जाते हैं , यूँ साहिलों की रेत के जैसे !! ~♥ कल्प ♥~
Sunday, February 5, 2012
Wednesday, February 1, 2012
~♥ कल्प ♥~ की "रूह" नहीं मिलती
बीते हर लम्हें में , एक तेरा ही इंतज़ार रहा है ,
यूँ हर रात को जैसे , एक भोर का इंतज़ार रहा है ,
वक़्त थमा नहीं कभी , और मैं भी रुका नहीं हूँ अभी ,
फिर भी न जाने क्यूँ ,
अब पाओं के नीचे जमीं नहीं मिलती ,
चलती हुई साँसों को कोई डोर नहीं मिलती ,
दिल तो धड़कता है पर एहसास नहीं है ,
न जाने क्या हुआ है अब ,
इस जिस्म को जैसे ~♥ कल्प ♥~ की "रूह" नहीं मिलती !!
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