काँटे चुभाता रहा अक्सर
एक तेरे प्यार के पैमाने में आँसू मिला के पीता रहा अक्सर,
हर दर्द को सीने में दबा के मैं जीता रहा अक्सर,
कोई समझे , न समझे , मैं तो उससे उम्मीद ही करता रहा ,
वो मेरे घावों पे मरहम देगा लेकिन , वो तो उसमे काँटे चुभाता रहा अक्सर !!
ऐसा भी होता है..
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति:-)
dhanyawad reena ji...
Deleteशायद उनका आखिरी हो यह सितम हर सितम यह सोच कर हम सह गये....सुंदर रचना
ReplyDeleteji shukriya..
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