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Saturday, December 3, 2011

दूर हो के रह भी नहीं सकते


न तुझे छोड़ सकते हैं, तेरे हो भी नहीं सकते,
ये कैसी बेबसी है आज, हम रो भी नहीं सकते !

ये कैसा दर्द है , पल - पल हमें तडपाये रखता है,
तुम्हारी याद आती है तो फिर, सो भी नहीं सकते !

छुपा सकते हैं, और न दिखा सकते हैं लोगों को,
कुछ ऐसे दाग़ हैं दिल पर, जो हम धो भी नहीं सकते !

कहा तो था छोड़ देंगे तुम को , फिर रुक गए लेकिन,
तुम्हें पा तो नहीं सकते, मगर छोड़ भी नहीं सकते !

हमारा एक होना भी , नहीं मुमकिन रहा अब तो,
जियें कैसे, कि तुम से दूर हो के रह भी नहीं सकते !!

2 comments:

  1. talash kr meri kami ko apne is bedard dil me.......



    dard ho to samajh lena mohabbat ab bhi baki hai......ALOK VERMA.

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  2. pyar ka hona,,fir use na pa sakane ki tadap...
    bahut hi gahare bhav se likhi sundar rachana hai...

    mauryareena.blogspot.com
    mere blog par apka hardik swagat hai...

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